Wednesday, March 20, 2019


है क्या यह दुनिया
जीने को क्यों फर्माया
आने से पहला अन्जान्
जाने के बाद तो  महान्
जीने मे मरते रहने की फर्ज
मरने मे जीने कि कर्ज
जिंदगी उसीकी है  जिसे
न फर्माने से ही सब मिले
न चाहते ही किस्मत खुले
है क्या यह जिंदगी
करें काम् दिन् रात
बुरी पेट कि  बरबात
हर कमीने भोंकते रहे
हर गुजारे फिसलते रहे
ये बेवफा अनाडीयों से
ये बे फिक्र खिलाड़ियों से
बच के रहना हट के जीना
यही है क्या यह जिंदगी?

0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home