फिर क्यों नही
अगर मरना मेरा हाथ मे होआजतक कयी बार मर सकता था।
अगर जीना मेरा हाथ मे हो
कभी मरने को सोचता नही था।
अजीब बात ये है कि इधर उधर
हर गमन्ड व्यक्ति के पाँव पर
कौन गिर पडेगा और नीचे गिर पडेगा?
जितना सेवा उतना मार
जितना खर्च उतना फर्ज
हर कुतिया हमें अपमान करे
कभी जिंदगी मे फिर सेवा किसी का ना करें
गल्ति यही है कि बिकार को शिर पर लेना
सोचता है कि रिस्त तोड़ कर छुप रहे
मन की स्वास्थ्य नकद का बचत
तँदरुस्ति स्तिथि अपने खाते मे
फिर क्यों नही ऐसा किया जाय्।
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